SHANI JAYANTI
ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या
सम्पूर्ण सिद्धियों के दाता सभी विघ्नों को नष्ट करने वाले सूर्य पुत्र ' शनिदेव '। ग्रहों में सबसे शक्तिशाली ग्रह। जिनके शीश पर अमूल्य मणियों से बना मुकुट सुशोभित है। जिनके हाथ में चमत्कारिक यन्त्र है। शनिदेव न्यायप्रिय और भक्तो को अभय दान देने वाले हैं। प्रसन्न हो जाएं तो रंक को राजा और क्रोधित हो जाएं तो राजा को रंक भी बना सकते हैं।
इसलिए शनि जयन्ती के दिन हमें काला वस्त्र, लोहा, काली उड़द, सरसों का तेल दान करना चाहिए, तथा धूप, दीप, नैवेद्य, काले पुष्प से इनकी पूजा करनी चाहिए।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि का फ़ल व्यक्ति की जन्म कुंडली के बलवान और निर्बल ग्रह तय करते हैं। मनुष्य हो या देवता एक बार प्रत्येक व्यक्ति को शनि का साक्षात्कार जीवन में अवश्य होता हैं । शनि के प्रकोप को आदर्श और कर्तव्य के प्रतिमूर्ति प्रभु श्रीराम, महाज्ञानी रावण, पाण्डव और उनकी पत्नि द्रोपदी, राजा विक्रमादित्य सभी ने भोगा है। इसिलिए मनुष्य तो क्या देवी देवता भी इनके पराक्रम से घबराते हैं।
कहा जाता है शनिदेव बचपन में बहुत नटखट थे। इनकी अपने भाई बहनों से नही बनती थी। इसीलिये सूर्य ने सभी पुत्रों को बराबर राज्य बांट दिया। इससे शनिदेव खुश नही हुए। वह अकेले ही सारा राज्य चलाना चाहते थे, यही सोचकर उन्होनें ब्रह्माजी की अराधना की। ब्रह्माजी उनकी अराधना से प्रसन्न हुए और उनसे इच्छित वर मांगने के लिए कहा। शनि बोले - मेरी शुभ दृष्टि जिस पर पड़ जाए उसका कल्याण हो जाए तथा जिस पर क्रूर दृष्टि पड़ जाए उसका सर्वनाश हो जाए। ब्रह्मा से वर पाकर शनिदेव ने अपने भाईयों का राजपाट छीन लिया। उनके भाई इस कृत्य से दुखी हो शिवजी की अराधना करने लगे। शिव ने शनि को बुला कर समझाया तुम अपनी शक्ति का सदुपयोग करो। शिवजी ने शनिदेव और उनके भाई यमराज को उनके कार्य सौंपे। यमराज उनके प्राण हरे जिनकी आयु पूरी हो चुकी है, तथा शनि देव मनुष्यों को उनके कर्मो के अनुसार दण्ड़ या पुरस्कार देंगे। शिवजी ने उन्हें यह भी वरदान दिया कि उनकी कुदृष्टि से देवता भी नहीं बच पायेंगे।
माना जाता है रावण के योग बल से बंदी शनिदेव को लंका दहन के समय हनुमान जी ने बंधन मुक्त करवाया था। बंधन मुक्त होने के ऋण से मुक्त होने के लिए शनिदेव ने हनुमान से वर मांगने को कहा। हनुमान जी बोले कलियुग मे मेरी अराधना करने वाले को अशुभ फ़ल नही दोगे। शनि बोले ! ऐसा ही होगा। तभी से जो व्यक्ति हनुमान जी की पूजा करता है, वचनबद्ध होने के कारण शनिदेव अपने प्रकोप को कम करते हैं।