DURGA NAVRATRI
अश्विन शुक्ल प्रतिपदा
21st September 2017
To
30th September 2017
॥ या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
महाशक्ति की आराधना का पर्व है '' नवरात्री ''। तीन हिंदू देवियों - पार्वती, लक्ष्मी और सरस्वती के नौ विभिन्न स्वरुपों की उपासना के लिए निर्धारित है, जिन्हे नवदुर्गा के नाम से जाना जाता है। पहले तीन दिन पार्वती के तीन स्वरुपों की अगले तीन दिन लक्ष्मी माता के स्वरुपों और आखिरी के तीन दिन सरस्वती माता के स्वरुपों की पूजा करते है।
माँ दुर्गा के नौ रुप -
प्रथम : श्री शैलपुत्री द्वितीय : श्री ब्रह्मचारिणी तृतीय : श्री चंद्रघंटा
चतुर्थ : श्री कूष्मांडा पंचम : श्री स्कंदमाता षष्ठम : श्री कात्यायनी
सप्तम : श्री कालरात्रि अष्टम: श्री महागौरी नवम् : श्री सिद्धिदात्री
यह देवियां भक्तों की पूजा से प्रसन्न होकर उनकी मनोकामनाएँ पूर्ण करती हैं। यह पर्व साल में दो बार आता है। एक नवरात्र चैत्र मास शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शुरु होता है। दूसरे नवरात्र का प्रारम्भ अश्विन मास शुक्ल की प्रतिपदा से।
विविध परंपराएँ
भारत के हर प्रांत में नवरात्री मनाने की विविध परंपराएँ हैं। जहाँ एक ओर गुजरात में गरबा खेला जाता है वही दूसरी ओर बंगाल में माँ की अराधना नगाड़ो से की जाती है । दशमी को औरते सिंदूर खेलती है। और माँ भगवती का आर्शीवाद लेती है।
पूजा - विधि
नवरात्रों में नौ दिनों तक व्रत का विधान हैं, परन्तु यदि सामर्थ्य न हो तो 7, 5, 3 या 1 दिन का भी व्रत रखा जा सकता है। नवरात्रों में पहले और आखिरी दिन व्रत का भी काफ़ी महत्व है। पूजन स्थल को भली प्रकार साफ़ कर एक चौकी रखें। चौकी पर लाल रेशमी वस्त्र बिछाएँ । माँ भगवती की चार भुजा वाली, सिंह पर सवारी करते हुए जो मूर्ति हो उसे स्थापित करें। मिट्टी के बर्तन में जौ, गेहूँ, बोयें, तथा एक कलश की स्थापना करें। कलश पर आम के पल्लव व एक नारियल रखें एवं कलश पर स्वास्तिक बनाएँ । रोली, कुमकुम, अक्षत, लाल व सुगन्धित फ़ूल, धूप, दीप, आदि से पूजन करें। एक घी का दीपक जलाएं जो नौ दिनों तक लगातार जलता रहें। श्रद्धा पूर्वक माता का पाठ करें। पूजन के बाद श्रद्धा पूर्वक आरती करें। शाम के समय में भी श्रद्धा पूर्वक माता की आरती करें।
अष्टमी व नवमी पूजन
अष्टमी अथवा नवमी के दिन माँ दुर्गा की कन्या के रुप में पूजा की जाती है। शास्त्रों के अनुसार कन्या का पूजन माँ का ही पूजन है। इसलिए इस दिन 9 या 11 कन्याओं को श्रद्धा व भक्ति भाव से अपने घर आमंत्रित करें। कन्याओं के साथ एक लंगूर अर्थात् लड़के को भी आमंत्रित करें।
विधि
कन्याओं के पैर धोकर उन्हें आसन पर बैठाएँ। उनके हाथों में मौली बाँध माथे पर रोली का टीका लगाएँ, सभी की आरती करें। भगवती दुर्गा को चना,हलवा, खीर पूड़ी, पूआ, तथा फ़ल आदि का भोग लगाएँ । यही प्रशाद कन्याओं को अर्पित करें।
इस प्रकार विधि विधान, श्रद्धापूर्ण और विश्वास के साथ पूजन करने से साधक को मनोवांछित फ़ल प्राप्त होते हैं।