SAWAN SOMVAR VRAT
श्रावण कृ. त्रयोदशी
श्रावण मास में भगवान त्रिलोकीनाथ, डमरुधर भगवान शिवशंकर की पूजा अर्चना का बहुत अधिक महत्व है। भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए श्रावण मास में भक्त लोग उनका अनेकों प्रकार से पूजन अभिषेक करते हैं। भगवान भोलेनाथ जल्दी प्रसन्न होने वाले देव हैं। वह प्रसन्न होकर भक्तों की इच्छा पूर्ण करते हैं।
महिलाएँ श्रावण के सोमवार का व्रत धारण करती है। सुहागन महिला अपने पति एवं पुत्र की रक्षा के लिए, कुँवारी कन्या इच्छित वर प्राप्ति के लिए एवं अपने भाई, पिता की उन्नति के लिए पूरी श्रद्धा के साथ व्रत धारण करती है। श्रावण व्रत कुल वृद्धि के लिए, लक्ष्मी प्राप्ति के लिए, सम्मान के लिए भी किया जाता है।
इस व्रत में माता पार्वती और शिवजी का पूजन किया जाता है। शिवजी की पूजा- अराधना में गंगाजल से स्नान और भस्म अर्पण का विशेष महत्त्व है। पूजा में धतूरे के फ़ूलों, बेलपत्र, धतूरे के फ़ल, सफ़ेद चन्दन, भस्म आदि का प्रयोग अनिवार्य है।
सुबह स्नान करके, सफ़ेद वस्त्र धारण कर काम क्रोध आदि का त्याग करें. सुगंधित श्वेत पुष्प लाकर भगवान का पूजन करें। नैवेद्य में अभिष्ट अन्न के बनें हुए पदार्थ अर्पण करें। फ़िर 'ॐ नमो दशबुजाय त्रिनेत्राय पन्चवदनाय शूलिने। श्वेतवृषभारुढ़ाय सर्वाभरणभूषिताय। उमादेहार्धस्थाय नमस्ते सर्वमूर्तये.' इन मंत्रो से पूजा व हवन करें। ऐसा करने से सम्पूर्ण कार्य सिद्ध होते हैं।